इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं- एक, जो कुंभकरण की कैटिगरी में आते हैं यानी जिन्हें खूब नींद आती है, और दूसरे वो जो बेचारे सो नहीं पाते। उदाहरण के तौर पर अभिषेक कॉरपोरेट नौकरी करते हैं। वे करीब 10-11 बजे घर पहुंचते हैं और 12.30 बजे तक सोने चले जाते हैं, पर नींद उन्हें 4-4 बजे तक नहीं आती। टाइम पास करने के लिए वे फोन पर वीडियो देखते हैं। इन्हें देखते-देखते कब आदत हो जाती है, पता ही नहीं चलता। अगले दिन थकान में ऑफिस जाते हैं। यह सिलसिला पिछले दो-तीन महीने से लगातार चल रहा है और इसका असर उनकी सेहत पर पडऩे लगा है। अभिषेक आजकल काफी बीमार रहने लगे हैं पर नींद की गोलियां भी नहीं खाना चाहते। वे इससे बच रहे हैं।
अभिषेक की समस्या आम है। हममें से कई लोग बिस्तर पर करवटें बदलते रहते हैं, पर नींद नहीं आती और सोने से पहले फोन का इस्तेमाल करते हैं। अब यह सिर्फ टाइमपास नहीं है, इससे शरीर में भी कुछ बदलाव होते हैं, जिसके कारण नींद और नहीं आती। चलिए, जानते हैं इन बदलावों के बारे में और कुछ आम वजहों के बारे में जिनके कारण समय पर नींद नहीं आती। आइए जानते हैं ऐसे बदलावों और कारणों के बारे में।
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नींद न आने के आम कारण
इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। मानसिक तनाव एक बड़ा कारण है। अगर हमें तनाव है और मन में उथल-पुथल चल रही है, तो नींद आना मुश्किल है। सीमित दिनचर्या भी एक कारण हो सकता है। जो लोग रोज रात को लेट सोते हैं और सुबह लेट तक सोते रहते हैं या रात भर की नाइट शिफ्ट करते हैं, उनकी आंतरिक बायोलॉजिकल क्लॉक कंफ्यूज हो जाती है। उसे समझ नहीं आता कि कब जागना है और कब सोना है। इससे नींद ना आने की समस्या पैदा हो सकती है।
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खानपान में बदलाव
खाने-पीने में अगर आप अनियमितता बरत रहे हैं, जैसे अल्कोहल बहुत ज्यादा ले रहे हैं या कैफीन बहुत ज्यादा ले रहे हैं या बहुत लेट नाइट डिनर कर रहे हैं, तो इससे भी प्रॉब्लम्स बढ़ सकती हैं और नींद आने में परेशानी हो सकती है। बहुत सारा डिजिटल डिवाइस इस्तेमाल करना, खासकर सोने से पहले फोन देखना, ब्लू लाइट की वजह से मेलाटोनिन की प्रोडक्शन रोक सकता है। मेलाटोनिन हमारी नींद के लिए जरूरी है। इसलिए, बेडरूम में रेड लाइट का इस्तेमाल करना बेहतर होता है।
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मानसिक बीमारियां
मानसिक बीमारियां जैसे डिप्रेशन, एंजायटी और मेंटल स्ट्रेस भी नींद में बाधा डाल सकती हैं। अगर आप शारीरिक गतिविधि नहीं करते हैं, तो भी नींद आने में परेशानी हो सकती है। रात को ठीक से नहीं सोने पर अगले दिन थकान रहेगी, कम काम करने की क्षमता होगी और इससे आपके हृदय के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, हार्ट डिजीज हो सकती है और इम्यूनिटी लेवल्स कम हो सकते हैं। इससे संक्रामक रोग बार-बार हो सकते हैं।
इंसुलिन लेवल्स का बढ़ जाना
नींद की कमी से वेट गेन हो सकता है। इंसुलिन लेवल्स बढऩे से मोटापा बढ़ सकता है। अगर आप 8 घंटे से ज्यादा सोते हैं, तो शरीर रिपेयर करना शुरू करती है और अगर 5 घंटे से कम सोते हैं, तो बॉडी में डैमेजेस बढ़ जाते हैं। नींद की कमी के लक्षणों में थकान, उदासी, चिंता, कम में मन ना लगना, कमजोर याददाश्त और फिजिकल बीमारियां शामिल हैं।
डिजिटल डिवाइस का अत्यधिक उपयोग
नींद को ठीक करने के लिए सबसे जरूरी है कि अपनी दिनचर्या ठीक रखें। एक ही वक्त पर सोएं और जागें। खाने-पीने का ध्यान रखें। अल्कोहल, चाय, कॉफी का सेवन कम करें और सोने से पहले ना लें। सोने से कम से कम 2-3 घंटे पहले डिनर कर लें। बेडरूम में डिजिटल डिवाइस का इस्तेमाल ना करें। बेडरूम शांत और अंधेरा रखें। अच्छी नींद ना आना या फिर ना सो पाना एक बड़ी समस्या है जिसका असर आपकी सेहत पर पड़ता है।
नींद को बेहतर बनाने के उपाय
नियमित दिनचर्या: एक ही समय पर सोएं और जागें। टाइम टेबल मेंटेन करें।
खानपान पर ध्यान: अल्कोहल, सिगरेट, और कैफीन का सेवन कम करें। सोने से पहले भारी भोजन न करें। डिनर सोने से 2-3 घंटे पहले कर लें।
डिजिटल डिवाइस का उपयोग कम करें: सोने से पहले फोन, टैबलेट, कंप्यूटर का उपयोग न करें। बेडरूम में टीवी न रखें।
आरामदायक बिस्तर: कंफर्टेबल पिलो और मैट्रेस का उपयोग करें।
मानसिक शांति: मेडिटेशन और योग करें। मानसिक तनाव को कम करने के उपाय अपनाएं।
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निष्कर्ष
अच्छी नींद हर इंसान के लिए जरूरी है। नींद की कमी से स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है। नियमित दिनचर्या, सही खानपान, और डिजिटल डिवाइस का सीमित उपयोग करके हम अपनी नींद को बेहतर बना सकते हैं। अगर समस्या बनी रहती है, तो डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।