इन 4 चीजों का करे सही तरीके से इस्तेमाल, क्योंकि खाते ही बन जाती हैं 'जहर', कर सकती हैं बीमार!


दोस्तों, हम अपने दिनचर्या में कई तरह की खाने-पीने की चीजें इस्तेमाल करते हैं, जिनमें से कुछ हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती हैं और कुछ हानिकारक भी हो सकती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ चीजें हमारे लिए हानिकारक भी हो सकती हैं, जो हमें टॉक्सिक बना सकती हैं और कई बार ये जानलेवा भी हो सकती हैं। इस आर्टिकल में, हम आपको बताएंगे कि कैसे आप नैचुरल तरीकों से इन चार हानिकारक चीजों से बच सकते हैं और एक स्वस्थ और रोगमुक्त रहकर लाइफ को इंज्वाय कर सकते हैं।  तो चलिए हम बताते है इन चारों चीजों के बारे में डिटेल्स में...

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पहला

हरा आलू, जिसे हम ग्रीन पोटैटो कहते हैं। अक्सर हम देखते हैं कि कई बार पूरा आलू हरा होता है, और कभी-कभी एक हिस्सा ही हरा हो जाता है। इसके भीतर दो चीजें पाई जाती हैं क्लोरोफिल और सोलेनिस। क्लोरोफिल नॉन हार्मफुल चीज है जोकि एक सुरक्षित पिगमेंट है और यह हानिकारक नहीं होता है, आप इसे खा सकते हैं। लेकिन सोलेनिस हमारे लिए हानिकारक हो सकता है, क्योंकि यह एक न्यूरोटॉक्सिन है जो हमें कई तकलीफें दे सकता हैं। अगर आप बहुत ज्यादा हरे आलू खाते हैं, तो इससे समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि हेडेक, नॉजिया, वॉमिटिंग, इंटरनल ब्लीडिंग, पैरालिसिस, और बहुत ही गंभीर मामलों में मौत। 


अगर आलू पूरी तरह से हरा नहीं है तो आप खाना बनाने के लिए उसके हरे पार्ट को हटा दें उसे इस्तेमाल ना करें। आप उसका सिर्फ वही हिस्सा इस्तेमाल कर सकते हैं जो सही है। हो सके तो आप उस हरे आलू को एक सुरक्षित जगह पर फेंक दें ताकि कोई जानवर भी न खाएं। आलू को ध्यानपूर्वक इस्तेमाल करना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि पूरे आलू में सोलेनिस की मात्रा उतनी नहीं होती है जितनी कि उसके हरे हिस्से में होती है। इसलिए, आपको सावधानी बरतनी चाहिए।


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दूसरा

दोस्तों, नटमेग जिसे उसे जायफल भी कहा जाता है, यह एक ऐसी चीज है जो भारतीय रसोईयों में गरम मसालों में इस्तेमाल होती है। नटमेग में एक ऐक्टिव कंपाउंड होता है जिसे माइसेस्टीसीन कहा जाता है, और जब यह ब्रेकडाउन होता है, तो एक कंपाउंड बनता है जो हमारे नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर सकता है। अगर इसका ओवरडोज हो जाए, तो हमें डिजीनेस, पल्पिटेशन, चक्कर, और उल्टियां जैसी समस्याएं हो सकती हैं, और कुछ मामलों में बावलापन होने के भी चांसेस हो सकते है। इंटरनेट पर इससे जुड़े कुछ केसेस रिपोर्ट भी हो चुके हैं। 

नटमेग इस्तेमाल करने से टॉक्सिसिटी हो सकती है और इसके लक्षण सिर्फ एक से डेढ़ घंटे के अंदर हो सकते हैं, जो करीब 10 घंटे तक रहते हैं। भारत में लोग जायफल को मसाले के रूप में इस्तेमाल करते हैं और इसे कम मात्रा में ही इस्तेमाल करते हैं, जिससे इससे कोई खतरा नहीं होता। लेकिन अगर आप नटमेग को मेडिसिन के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आपको सतर्क रहना चाहिए। अगर आप इसे लेना चाहते हैं, तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और उनके दिए गए डोज का पालन करना चाहिए। इसे ज्यादा लेने से बचना चाहिए ताकि आपको कोई नुकसान न हो।


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तीसरा

दोस्तों, तीसरी चीज जिसे आपको खाना नहीं चाहिए, वह है बिटर आलमंड, जिसे हम कड़वे बदाम भी कहते हैं। बाजार में दो प्रकार के बदाम मिलते हैं- स्वीट आलमंड और बिटर आलमंड। आमतौर पर ग्रॉसरी स्टोर्स में मिलने वाले बदाम स्वीट आलमंड होते हैं, जो पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं। लेकिन, कभी-कभी स्वीट आलमंड को बिटर आलमंड के साथ मिला दिया जाता है और बिटर आलमंड टॉक्सिक हो सकते हैं। इनमें एक टॉक्सिक सब्सटेंस होती है जिसे हाइड्रोजन सायनाइड कहा जाता है, जो कि दुनिया का सबसे खतरनाक पॉयजन है। 


दरअसल, बिटर आलमंड की टॉक्सिसिटी को जांचने के लिए कुछ केस स्टडीज भी हो चुकी हैं। इससे पता चला है कि 6 से लेकर 10 बदाम भी अगर खाए जाएं, तो यह आपके लिए सीरियस पॉयजनिंग का कारण बन सकते हैं। इससे ज्यादा बदाम खाने से आपको जानलेवा बीमारी हो सकती है, और यदि आप बच्चे हैं या आपकी वजन कम है, तो खतरा और भी बढ़ जाता है। हमेशा यह सुनिश्चित करें कि अगर बदाम कड़वा है, तो उसे न खाएं और हमेशा अच्छे ब्रांड के बिटर आलमंड ही उपयोग में लें। 


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चौथा

दोस्तों, चौथी चीज जिसे आपको इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, वह है "अंदर कार्ड रेड किडनी बींस" यानी राजमा। राजमा को पूरी तरह से ही पका कर खाना चाहिए क्योंकि उसमें लैटिन पाया जाता है जो एक टॉक्सिक सब्सटेंस है। इससे हमारे अंदर विभिन्न तरह के टॉक्सिक लक्षण पैदा हो सकते हैं, जिनमें से सबसे बड़ा है एब्डोमिनल पेन, जी मिचना जैसे समस्या हो सकती है।


राजमा को अच्छे से पका कर ही खाना चाहिए, क्योंकि उच्च तापमान पर इसकी पकाने की प्रक्रिया में लैटिन समाप्त हो जाता है और यह सुरक्षित हो जाता है। लेकिन, अगर राजमा पूरी तरह से पका रहा रहता है या कच्चा ही रह जाता है  तो यह हमें सीरियस साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ सकता है। कुछ शोधों में यह पता चला है कि केवल पांच से छह कच्चे राजमा खाने से भी सीरियस साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, और जब आप इससे ज्यादा खाते हैं, तो यह खतरनाक हो सकता है।


इसलिए, जब भी राजमा बनाते हैं, तो पहले उसे पानी में भिगोकर रखें और तेज आंच पर पकाएं ताकि यह पूरी तरह से पक जाए और सुरक्षित हो जाए। ध्यान दें राजमा को पकाने के बाद हाथों से दबाकर चेक जरूर कर लें।


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