"साइलेंट किलर" है ये 8 खतरनाक बीमारी, जो चुपके से आपके शरीर में करती है प्रवेश, जानिये इसके लक्षण


 

बीमारी कभी भी, कहीं भी किसी को भी हो सकती है। इंफेक्शन और मेंटल संबंधी बीमारी के कुछ ना कुछ लक्षण तो होते ही हैं। लेकिन हवा में तैर रहे वायरस, खाने से मिल रही अनचाहे बैक्टिरियां हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देते है। जो कोई संकेत भी नहीं देती, यानी इंसान के जीवन में बेहद चुपके से आती हैं। इसकी जानकारी बीमारी होने के बाद हो पाती हैं। ऐसी बीमारियों को "साइलेंट किलर" कहा जाता है यानी ये बीमारियां बॉडी को चुपचाप डैमेज करने लगती हैं।


दुनियाभर के लाखों लोग शुरुआती दौर में ध्यान नहीं देते है जिसके कारण जिंदगीभर के लिए शरीर में ये बीमारियां अपना पैठ जमा लेती है। साइलेंट किलर जो एक व्यक्ति की मौत का कारण नहीं बनती हैं। लेेकिन, धीरे-धीरे बॉडी के पार्ट्स को डेमेज कर रही होती हैं। तो आज ऐसी ही साइलेंट किलर बीमारियों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे जिन्हें जानना बेहद जरूरी है।


ये हैं साइलेंट किलर बीमारियां और उनके लक्षण

हाई ब्लड प्रेशर

हाई ब्लड प्रेशर जो अचानक हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा देता है। जब हाई ब्लड प्रेशर शरीर में प्रवेश करता है तो आपको पता ही नहीं चलता। जब पता चलता है तब बहुत देर हो चुका होता है। दुनियाभर में करीब 2 अरब लोग हाई ब्लड प्रेशर के मरीज है। लेकिन, इनमें से 70 करोड़ से ज्यादा लोगों को अब भी पता ही नहीं है।


वार्निंग साइन: ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के मुताबिक, हाई ब्लड प्रेशर होने पर देखने में दिक्कत, कभी-कभी नाक से खून, सांस लेने में परेशानी, छाती में दर्द, सिर में दर्द और चक्कर का आना हाई बीपी के संकेत हैं। 


डायबिटीज

खराब लाइफस्टाइल के वजह से डायबिटीज हमारे शरीर में प्रवेश कर जाती है। डायबिटीज के कारण ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, किडनी फेल्योर, कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियां होने के चांसेस होते है। दुनियाभर में करीब 42.20 करोड़ लोग डायबिटीज के मरीज है। डायबिटीज से प्रतिवर्ष 15 लाख लोगों अपनी जान गंवा देते है। भारत में सबसे ज्यादा 8 करोड़ लोगों को डायबिटीज है।


वार्निंग साइन: ब्रिटिश हेल्थ सर्विस के मुताबिक, आपको ज्यादा प्यास लगती हो, बार-बार पेशाब आता हो, ज्यादा थकान लगती हो, मसल्स में कमजोरी आ जाती है, प्राइवेट पार्ट में खुजली होने जैसे आम लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर को अवश्य चैकअप करवाएं।


हाई कोलेस्ट्रॉल

उच्च कोलेस्ट्रॉल मरीज को तब तक कोई लक्षण पैदा नहीं करता है जब तक कि इसका खतरनाक लेवल पर नहीं पहुंच जाता है। उच्च कोलेस्ट्रॉल तब होता है जब शरीर में वसायुक्त पदार्थ का ज्यादा निर्माण होता है। यह मुख्य रूप से शराब का सेवन, धुम्रपान, जंक फूड और खराब लाइफस्टाइल जैसी आदतों के कारण होता है। इससे हार्ट अटैक आने की संभावना बेहद अधिक होती है।


वार्निंग साइन: जब व्यक्ति का वजन धीरे-धीरे बढऩे लगे, पैरों में लगातार दर्द महसूस हो, ज्यादा पसीना आतो हो, त्वचा के रंग में बदलाव दिखने लगे, सीने में दर्द का होना हाई कोलेस्ट्रॉल के संकेत हैं। 


READ MORE: कैसे ओवरलोडिंग का शिकार हो रहा हमारा ब्रेन, इस प्रकार करे अपने ब्रेन को डिटॉक्स


फैटी लीवर

फैटी लीवर रोग दो तरह के हो सकते है, नॉन अल्कोहलिक और अल्कोहलिक फैटी लीवर। नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज एक प्रकार का शरीर में फैटी लिवर होने के कारण होता है जो कि शराब सेवन से नहीं जुड़ा है। जबकि, अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज मतलब शराब सेवन से जुड़ा होता है। जब व्यक्ति शराब सेवन करता है तब धीरे-धीरे फैटी लिवर की बीमारी बढ़ती जाती है। लंबे समय तक इसके लक्षण नहीं दिखते हैं। यह साइलेंट किलर का काम करती है।


वार्निंग साइन: फैटी लिवर पीडि़त होने पर व्यक्ति को शुरुआत में तो लक्षण नहीं दिखते लेकिन, अगर आपको यह लक्षण दिखे तो इसे बिलकुल नजरंदाज न करें। जैसे- पैरों में सूजन, थकान और कमजोरी महसूस करना, भूख कम लगना, पेट में दर्द होना, आंखों में पीलापन और त्वचा भी पीली पडऩा, वजन घटना, त्वचा में एलर्जी और खुजली होना।


कोरोनरी आट्र्री डिज़ीज़

दिल से जुड़ी कोरोनरी आट्र्री बीमारी भी साइलेंट किलर में से एक है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हृदय को रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली कोरोनरी धमनियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ता है। अगर आप हाई बीपी या फिर हाई कोलेस्ट्रोल के शिकार है।


वार्निंग साइन: सांस का फूलना या सांस लेने में तकलीफ होना, चक्कर आना, दिल की घबराहट होना, कमज़ोरी होना, थकान महसूस करना, मतली, पेट में परेशानी या उल्टी होना, अपच महसूस होना जैसा लक्षण दिखाई देते है।


ऑस्टियोपोरोसिस

ऑस्टियोपोरोसिस हड्डी से जुड़ी साइलेंट किलर बीमारी है, जिसमें प्रभावित व्यक्ति इस बीमारी से अनजान रहता है। क्योंकि, इसके शुरुआती लक्षण या संकेत नहीं होते है। जब तक उन्हें फै्रक्चर नहीं होता, तब तक इस बीमारी का पता नहीं चलता। इस बीमारी में हड्डियां खोखली हो जाती है।


वार्निंग साइन: जब हड्डियों को काफी नुकसान पहुंचने लगता है तब शरीर में पीठ में दर्द होना, शरीर का झुका हुआ लगना, कमज़ोरी महसूस होना और आसानी से थक जाना, पीठ में किसी भी तरह का फै्रक्चर होने पर उभार,  समय के साथ ऊंचाई कम होना, लगातार फै्रक्चर होना आदि जैसे संकेत है। 


स्लीप एपनिया

स्लीप एपनिया में व्यक्ति सोते समय जोर से सांस लेता है और खर्राटे लेता रहता है, दिन में भी बहुत थकावट महसूस करता है। स्लीप एपनिया से जूझ रहे मरीज़ों की अचानक मृत्यु और सोते समय स्ट्रोक आने के चांसेस होता है। इसलिए स्लीप एपनिया को साइलेंट किलर बीमारी कहा जाता है। 


वार्निंग साइन: रात के समय में भारी खर्राटे, एपनिया मतलब 10 सेकंड या उससे अधिक समय का रुक जाना, बार-बार पेशाब आना, पसीना आना, स्तंभन दोष और नींद न आना जैसे लक्षण दिखाई देते है। 


किडनी रोग

अगर किडनी की बीमारी के लक्षण शुरुआत में पता चल जाये तो भविष्य में होने वाले समस्याओं से बचाव किया जा सकता है। लेकिन, शुरुआत में किडनी की बीमारी के लक्षण स्पष्ट नहीं होने के वजह से किडनी के बेकार हो जाने की स्थिति आ जाती है। मरीज को पहले तक यह पता ही नहीं चलता कि उसे किडनी की बीमारी है। 


वार्निंग साइन: एंडी, पैरों और तलवों सूजन, रात के समय पेशाब ज्यादा होना, पेशाब का रंग बदल जाना, पेशाब में झाग का आना, वजन बढऩा, कमजोर, थकान, भूख में कमी, हिमोग्लोबिन की स्तर गिरना, सुखी खुजली, पीठ दर्द या पेट के नीचले हिस्से में दर्द का होना जैसे लक्षण दिखाई देते है। 


READ MORE : जानिए शिलाजीत के हैरान करने वाले फायदें


READ MORE : ई-सिगरेट पीने वाले हो जाए सावधान: स्टडी में दावा; फेफड़ों में होती है गंभीर बीमारी

Tags

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.