क्या आप भी पीठ, कमर और गर्दन दर्द से परेशान है, तो इस प्रकार करें अपने बॉडी पोश्चर में सुधार

 



आजकल दिनचर्या और जीवनशैली के बदलने का असर उठने-बैठने के तरीकों पर भी पड़ा है। इससे कम उम्र में ही बॉडी पोश्चर बिगडऩे की आशंका भी बढऩे लगी है। शरीर का अपना एक अलाइनमेंट होता है, आजकल ज्यादातर लोग एक ही पोजीशन में घंटों खड़े रहते है, कुर्सी पर बैठे रहते है, घंटों गर्दन झुकाकर लैपटॉप का उपयोग और ज्यादातर लेटकर अपना समय बिता रहे हैं। इसका नतीजा  रीढ़ संबंधी, स्लिप डिस्क, कमरदर्द, पीठदर्द, खऱाब ब्लड सर्कुलेशन, सीने में दबाव जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं। शरीर का पोश्चर सिर्फ आपको बेहतर दिखने में मदद नहीं करता, बल्कि यह आपके स्वास्थ्य के लिए भी बेहद आवश्यक है। जिससे सकारात्मक असर पड़ता है। एक अच्छे पोश्चर के लिए जरूरी है शुरुआत यानी बचपन से ही बैठने-खड़े होने के तरीकों पर ध्यान देना। खासकर जब बच्चे बैठें तो उनकी पीठ सीधी और तनी रहे। एक बार यह आदत होने पर हमेशा ही पोश्चर सही बनाए रखने में मदद मिलती है।  


युवाओं में बदन दर्द की सबसे बड़ी वजह गलत पोश्चर में बैठना है। इन दिनों अधिकांश लोग शरीर के किसी न किसी हिस्से में दर्द से जूझ रहे है। अगर लगातार टेस्ट करवाने के बाद भी आपको बीमारी समझ में नहीं आ रही है तो एक बार अपना पोश्चर ठीक करके देखिए। 


क्यों ज़रूरी होता है सही बॉडी पोश्चर?

सही बॉडी पोश्चर हमें सही सांस लेने में नेचुरली मदद करता है। इससे मस्तिष्क में ऑक्सीजन की सप्लाई सही तरी़के से पहुंचती है, जब मस्तिष्क बेहतर ढंग से काम करता है और सोचने-समझने की शक्ति प्रभावी ढंग से काम करती है। सही पोश्चर से जोड़ों पर बेवजह दबाव नहीं पड़ता, जिससे उनमें तनाव नहीं आता। सही पोश्चर से रीढ़ की हड्डी को दबाव से बचाता है। जिसके चलते आप आकर्षित और स्मार्ट दिखने लगते हैं। जब आपका सही बॉडी पोश्चर रहेगा तो आप आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे।


दिनचर्या से जुड़ी है यह बीमारी

90 फीसदी लोग अपने जीवन के किसी-न-किसी रूप में दर्द से पीडि़त हैं। जिसका असर आपके ब्रेन पर पड़ रहा है। कई बार इस दर्द को इग्नोर करने से इसका गंभीर असर सामने आता है। आज जिस तेजी से पोश्चर संबंधी बीमारी बढ़ी है उनमें कामकाजी लोग, आईटी सेक्टर, डेस्क में जॉब करते वाले और कंप्यूटर में काम करने वाले लोग इस समस्या से ज्यादा पीडि़त है, क्योंकि इस सेक्टर में लोगों एक ही पोजीशन में घंटों बैठे रहना पड़ता है। 


रक्त संचार पर पड़ रहा गलत असर

आने वाला भविष्य मानव शरीर के लिए और भी परेशानियां पैदा करेगा। अगर आप अपने आसपास ध्यान देंगे तो आपको ना के बराबर सही बॉडी पोस्चर के लोग दिखाई देंगे और वे लोग किसी ना किसी दर्द से जरूर परेशानी महसूस कर रहे है। जिसका असर ब्लड सर्कुलेशन पर भी असर पड़ रहा है। गलत बॉडी पोस्चर की वजह से ना केवल व्यक्ति अजीब दिखने लगता हैं बल्कि ब्रेन का संतुलन भी ठीक नहीं रहता है।


बॉडी पोश्चर की जांच खुद कैसे करें?

अगर आपकों थकान हमसूस हो रहा है, लोअर बैक पेन हो रहा है और शरीर में अन्य तरह की परेशानियां दिखाई दे रही है तो आपको पोश्चर संबंधी शिकायत हो सकती है। ऐसे में आपको समय-समय पर अपनी बॉडी पोश्चर जांचते रहना है और उन्हें फिक्स (रूटीन में बदलाव) भी करना है। 


पोश्चर खराब होने के कारण

अगर आपको ऐसा लगता है कि बॉडी पोश्चर एक दिन की समस्या है तो बता दें आप गलत हैं। दरअसल, यह तभी होता है जब आप लंबे समय से कुछ ना कुठ गलतियां कर रहे है। बढ़ती उम्र के कारण कमर दर्द, गर्दन दर्द तो स्वाभाविक हैं। लेकिन दर्द लगतार बना हुआ है तो आपको अपना पोश्चर ठीक करने की जरूरत है। अगर आप तकिए या बेकार गद्दे का इस्तेमाल करते हो तो भी कमर दर्द या गर्दन में अकडऩ की शिकायत हो तो समझ जाइए कि यह खराब बॉडी पोश्चर की वजह से है।


दीवार के माध्यम से जाने सही पोश्चर 

आपका बॉडी का पोश्चर कितना सही है? यह आप दीवार के जरिए देख सकते हैं। इसके लिए आपको सबसे पहले एक दीवार की ओर पीठ दिखाकर खड़ा होना होगा। इस दौरान आपकी एडिय़ां दीवार से 6 इंच की दूरी पर होंगी। अगर आपका पोश्चर सही है तो गर्दन और पीठ दीवार से दो इंच दूर रहेंगी। इसके अलावा आपका सिर, हिप्स और कंधे दीवार से लगे हुए होंगे। अब अगर आपकी स्थिति ऐसी है तो ठीक, वरना आपको अपनी दिनचर्या में बदलाव करना होगा।


लगातार कुर्सी पर बैठना मतलब खतरा!

क्या आप भी दिनभर काम के दौरान कुर्सी पर लगातार बैठे रहते है, और अक्सर कमर दर्द या गर्दन दर्द महसूस करते हैैं, तो समझ ले कि बॉडी पोश्चर में कुछ गड़बड़ है। अगर इस समस्या से जूझ रहे हो तो कुर्सी पर बैठकर थोड़ा स्लाउच कर लें। जिससे मांसपेशियों और बॉडी टिशूज के लिए परेशानी पैदा ना हों।


इस प्रकार सही रखें अपना बॉडी पॉश्चर


1. सही ढंग से बैठे: शरीर में दर्द को बढ़ाने वाला सबसे बड़ा कारण आपका गलत बॉडी पोश्चर है। अगर पोश्चर सही नहीं है तो रीढ़ की हड्डी का अलाइनमेंट बिगड़ सकता है। जिससे कमर के निचले हिस्से और गर्दन में बराबर दर्द रहेगा। इस दर्द से बचाव के लिए हमेशा कमर को सीधे और पीछे की ओर करके बैठें। ये भी ध्यान रखें कि शरीर का भार दोनों कूल्हों पर बराबर हो। यह भी जरूरी है कि एक ही पोजीशन में 30 से ३५ मिनट से ज्यादा देर तक ना बैठे रहे।


2. अपने हाथों पर बैठकर चेक करें: फर्श के ऊपर बैठते समय अपने हाथों को बोन्स के नीचे रखें। जब तक आप आपके वजन को आपकी दोनों ही हथेलियों के ऊपर बीच में महसूस न कर सकें तब तक आपकी पोजीशन को एडजस्ट करें। ये एक ऑप्टिमल सीटींग पोजीशन है।


3. बैठते समय पैरों को एडजस्ट करें: सामने की ओर फेस करते हुए पैरों को फर्श के ऊपर सामान्य अवस्था में रखें, अपने पैरों या एंकल्स को क्रॉस न करें। अपनी थाई को फर्श के पेरेलल रखें। अगर आपके पैर फर्श को टच नहीं करते हैं, तो फुटरेस्ट का यूज करें।


4. सपोर्टिव चेयर: एक ऐसी कुर्सी का चुनाव करें जो आपके हाइट और वेट के हिसाब से बैठने लायक हो, जिस पर आप सही ठंग से बैठ सके। 


5. अपने कम्प्यूटर मॉनिटर को बॉडी के हिसाब से एडजस्ट करें: अगर आप कंम्प्यूटर पर काम कर रहे है तो फिर मॉनिटर को हल्का ऊपर की ओर रखें, ताकि आप स्वयं ही ऊंचा बैठने के लिए मजबूर हो जाए। जिससे आपको आपकी ठुड्डी सीधी रह सके। 


6. ड्राइव करते समय अपनी सीट को एडजस्ट करें: अगर आप ड्राइव कर रहे है तो अपनी सीट को एडजस्ट करें। अपने घुटनों को आपकी हिप्स के बराबर लेवल पर या हल्का सा ऊपर रहना चाहिए।


7. छोटी-छोटी ब्रेक्स लें: आप घंटों तक मत बैठें रहे, 30-40 मिनट में छोटे-छोटे ब्रेक्स लेते रहे और हो सके तो स्ट्रेच करना या फिर 1-2 मिनट वाक जरूर कर लें। अगर आप भूल रहे है कि ब्रेक लेना है तो अलार्म सेट कर दें। 


इन बातों का भी रखें ख्याल

  • कंधों को तनकर खड़े रहे
  • पैर सीधे रखे और घुटने मुड़े हुए न हों
  • सिर, गर्दन, कमर और पैर एक सीध में ही रहे जिससे वजऩ दोनों पैरों पर हो
  • हाई हील के शूज न पहनें
  • कुर्सी पर कभी भी एक दिशा में झुककर न बैठे
  • पेट के बल न सोएं 
  • घर पर योगासान, एक्सरसाइज पर ध्यान दें

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